हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, विशेष पाठयक्रम “तरबियत-ए-मुबल्लिग़-ए-नह्ज़ुल-बलाग़ा” का उद्घाटन समारोह ईरान के शहर क़ुम में फुज़ला, तुल्लाब और नह्ज़ुल-बलाग़ा के शाएकीन की मौजूदगी में आयोजित हुआ।
इस पाठयक्रम का आयोजन दफ़्तर-ए-तब्लिग़ात-ए-इस्लामी की ओर से किया गया है, जिसका मक़सद नह्ज़ुल-बलाग़ा के मुबल्लेग़ीन और मुदर्रिसीन का प्रशिक्षण है।
रिपोर्ट के अनुसार यह पहल सुप्रीम लीडर की उस तक़ीद के पेश-ए-नज़र किया गई है जिसमें उन्होंने इस क़ीमती इस्लामी सरमाया यानी नह्ज़ुल-बलाग़ा पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था।
समारोह के शुरूआत में दफ़्तर-ए-तब्लिग़ात-ए-इस्लामी के मरकज़-ए-अमली तर्बियत के प्रमुख मुहम्मद अली सुलैमानी ने हाज़िरीन का स्वागत करते हुए इस कोर्स की पृष्ठभूमि और लाभ की वज़ाहत की।
उन्होंने कहा: सुप्रीम लीडर की हिदायत के बाद दफ़्तर-ए-तब्लिग़ात-ए-इस्लामी के सांस्कृतिक एवं प्रचारक सरपरस्त की ओर से हिदायत वसूल होने पर माहेरीन और मुम्ताज़ शिक्षको से परामर्श करके इस कोर्स का इल्मी मनसूबा तैयार किया गया।
मुहम्मद अली सुलैमानी ने मजीद कहा: इस कोर्स के ऐलान के बाद ग़ैर-मामूली दिलचस्पी देखी गई, दो सौ से ज़्यादा लोगो ने प्रारम्भिक रूप से रजिस्ट्रेशन कराया जिनमें अस्सी अफ़राद शहर क़ुम से और बाकी दुसरे शहरों से थे। तख़स्सुसी इंटरव्यूज़ के बाद इकतालिस लोगो को हत्मी तौर पर मुन्तख़िब किया गया।
उन्होंने इस कोर्स की वज़ाहत करते हुए कहा: यह क्लासें हफ़्ते में तीन दिन शाम तीन से सात बजे तक मुनअक़िद होंगी और मजमुई तौर पर अठावन दरसी नशिस्तों पर मुश्तमिल होंगी जो एक सौ सोलह तालीमी घंटों के बराबर हैं। इस कोर्स की नमायाँ ख़ुसूसियात में मावज़ूई तनोअ, नह्ज़ुल-बलाग़ा के दक़ीक़ मुताला और इसके मुबाहिस को मौजूदा दौर के मावज़ूआत जैसे मुक़ावमत, सब्र और अस्र-ए-हाज़िर के चैलेंजों से जोड़ने की कोशिश शामिल है।
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